

अरे ये कौन है जो चुपके से न जाने कहाँ से आया एक अदृश्य
परन्तु अपने साम्राज्य का एहसास करता है... सही काम करने वालों के चाहत को बदल कर
गलत काम करने की ढिठाई तक, सामानों में मिलावट / डुप्लीकेसी से लेकर नाप तौल में
ठगी तक, कर्म की जगह हवाई बैतों से बादशाहत दिलाने तक, आदमी को बनाया देकेदार
परन्तु काम से दूर नकारेपन तक, प्रतिबंधित दवाओं / रसायनों को खुले बाजार में /
खाद्य पदार्थों में पहुँचाने तक, प्रदुषण को जल / भूमि / हवा / ओजोन परत में छेदे
जाने तक, बाबुओं की फ़ाइल से अफसरों के जुबान / स्याही तक, सामने दिख रहे काले
कारनामों को सफ़ेदी के चश्में चढ़ाने तक, गरीबों की रोटी को भ्रष्टों के लिए
मांस-मंदिरा बनाने तक, जनता के छप्पर / सड़क / रास्तों मुलभुत आवश्यकताओं को
भ्रष्टों के बंगलें / गाड़ी / ऐयासी / अवैध धन संग्रहालय तक, और तो और भ्रष्टों को
बचाने से लेकर सम्मान दिलाने तक, समाज में असामाजिकता फ़ैलाने तक, मानवों में
अमानवता लाने तक, इन्सानों को जंगली खूंखार पशु बनाने तक, लोगों तक बिना रोक-टोक
अश्लीलता लाने तक, समाज में कुरीतियों / कुकर्मों का जड़ जमवाने तक, लोगों की सोच
में ओछापन लाने तक, लालच को हर हद से पार ले जाने तक, अस्पतालों की मुफ्त दवाओं से
खरीदवाने तक, स्कूली छात्रों के युनिफार्मों / कितबों / छात्रवृत्ति से लेकर
शिक्षा में सेंध लगाने तक, मिडडे मिल में कीड़े / कंकड़ / पत्थर / खाने कम हो जाने
तक, इसके समर्थन में निचले कर्मचारियों की बताई से लेकर अधिकारीयों के लिखाई /
कार्यवाही तक, कई जंतुओं (जैसे गिद्धों व अन्य कईयों) के नस्लों के गायब हो जाने
तक, कच्चे केलों को कुछ मिनटों में पकाने तक, यूरिया / साबुन / तेल / पेंट से दूध
बनवाने से लेकर बिकवाने तक, फल / सब्जी / अनाज में प्रतिबंधित रसायनों को समाहित
कराने तक, सडकों पर डग्गा मार गाड़ियों को धड़ल्ले से दौड़ाने तक, माल / सवारियों को
छमता से कई गुना गाडियों में ढोवाने तक, इन्सान से धनपशु बनाने तक.... और इसके
बारे में क्या कहा जाय शब्दों में इसे बांधना है बेईमानी, क्योंकि शारीर के कतरे /
खून / पानी / रोम-रोम में इसे जगह है बनानी; अरे ये सजीव जो भगवान के बाद डाक्टरों
को छोड़िये... बनस्पति चारा को छोड़िये... निर्जीव कोयले को छोड़िये... हवा / जमीन /
पानी यहाँ तक निर्वात में भी रहने वाले स्पेक्ट्रमों में भी लिखी इनकी कहानी है| कहते
है आने वाली पुस्त के लिए तैयारी है पर ये सौगातें कहाँ जानी है.....